लोक गीतों में जीवित रहे विभूतिया

 


लोक गीतों में जीवित रहे विभूतिया


    जौनसार बावर महासू जी महाराज की पावन धरती कई महान आत्माओं ने जन्म लिया है। लेकिन जौनसार में आज से पहले उनका कोई लिखित इतिहास हमारे पास उपलब्ध नही था। यदि वो लोग जीवित थे तो सिर्फ हमारी वीरगाथाओं में जिसे हम स्थानिय भाषा मे हारुल बोलते है। इस हारुल गायन से ही हमें जौनसार बावर के वीर योद्धाओं की जानकारी मिलती है।
     यदि हारुल गायन कला नही होती तो जौनसार बावर के ना जाने कितने ही अनछुए पहलुओं की जानकारी हमारे आने वाली पीढ़ियों को उपलब्ध नही हो पाती। जब हम पुरानी हारुलों को सुनते है तो उसमें इतिहास और इतिहास पुरुष के वीरता का व्याख्यान किया जाता है। इसी बात से हम सोच सकते है कि जौनसार बावर के इतिहास को जिंदा रखने में हारुल कला की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। 
     यदि हारुल कला नही होती तो हम लोगो को नही पता होता कि वीर नंतराम सिंह नेगी जी कौन थे हम नही पता होता कि शहीद केसरी चंद जी कौन थे और यदि विरसु की हारुल ना होती तो हमे नही पता होता कि की विरसु जी क्यों विख्यात थे। और भी कई महत्वपूर्ण लोगो की जानकारी हमें हारुल गायन के माध्यम से मिलती है।
    जैसे-जैसे समय गुजरता गया जौनसार बावर में नए-नए कलाकारों का जन्म हुआ जिन्होंने इतनी महत्वपूर्ण कला की महत्वता को कही ना कही कम करने का काम किया मैं नही जानता कि वो लोग ऐसा किस कारण से कर रहे है। आज का कलाकार हारुल उन लोगों पर बना रहे है जिनकी जौनसार और देश के प्रति कोई महत्वपूर्ण भूमिका नही रही है। जिससे की इस महत्वपूर्ण कला की महत्वता कम हुई है। साथ ही उस इतिहास और इतिहास पुरुष का सम्मान भी कम हुआ है जिस कारण से इस कला की उत्पत्ति हुई है।
     मेरा उन सभी कलाकारों से विशेष अनुरोध है कि वो इस तरह कोई भी रचना ना करें जिससे कि जौनसार बावर की उन महान आत्मा के सम्मान में कमी आये। साथ ही उन लोगों से भी अनुरोध है कि जो लोग अपने लिए कलाकारों से हारुल गायन करवाते है। यदि किसी कलाकार या व्यक्ति विशेष को मेरी किसी बात से ठेस पहुँचती है तो में क्षमार्थी हूँ।